Sun Mere Moon, Tu Mera Sukoon - Paperback, Hardcover LAUNCHED
Sun Mere Moon, Tu Mera Sukoon - LAUNCHED on 16th January 2024!
सुन मेरे मून, तू
मेरा सुकून
सुनीता सुभाष गुप्ता
संपूर्ण शब्द
BUY TODAY!
Amazon Kindle EBOOK
India PAPERBACK
International HARDCOVER
ABOUT BOOK: प्रस्तावना
“सुन
मेरे मून, तू मेरा सुकून” ये
किताब उन युगल जोड़ों को दर्शाता है जिन्होंने प्यार का एक लंबा सफर साथ में तय
किया है। इस किताब में ज़िंदगी में अजनबी से दोस्त बनकर, दोस्त से दिलबर बनकर और
दिलबर से हमदम बनने तक का सफर कविताओं के माध्यम से बताया गया है। दोस्त से दिलबर बनने
के सफर में जितनी भावनाएँ होती हैं जिसमें कभी गुस्सा, कभी नफरत, तो कभी एक तरफ़ा
प्यार, मोहब्बत के किस्से और इश्क की दास्तान और सभी भावनाओं को सुंदर तरीके से इस
किताब में दर्शाया गया है।
इन कविताओं के सार से हमको ये बताया
गया है कि हम सबकी ज़िंदगी में वो एक इंसान जरूर होता है जिस्से हम सबसे ज्यादा प्यार
करते हैं और उसी से लड़ते झगड़ते भी हैं पर कितने भी गम आए वो ही हमारी ताकत बनता है
और उसमें ही हमारा सुकून बसता है।
उस से ही मिलकर ऐसा लगता है कहने को
कि वही
“सुन मेरे मून, तू
मेरा सुकून” है।
अभिस्वीकृति
कवयित्री सुनीता गुप्ता के प्रेरणा स्रोत।
मैं शुक्रगुजार हूँ मेरे स्कूल के सहपाठी और
मेरे घनिष्ठ मित्र
श्री अमोल करमालकर जी का जो मेरी
प्रेरणा के स्रोत हैं और मुझे लिखने के लिए प्रेरित करते हैं।
विशेष धन्यवाद
मैं अपने माता पिता की शुक्रगुज़ार हूँ जिनके
बदौलत आज में इस मुकाम पर हूँ ।
मैं विशेष धन्यवाद कुमारी रिद्धी शर्मा उर्फ
रिंकी देवी का करती हूँ जो इस खूबसूरत कविताओं की किताब की शुरुआत से अंत तक का
हिस्सा रही हैं। इस किताब में उन्होंने संपादक और विशेष सलाहकार की प्रमुख भूमिका
निभाई है।
श्री
राहुल रंजन महांत की शुक्रगुजार हूँ जिन्होंने किताब के लिए चित्र संगठन करके अपना योगदान
दिया है I
मैं शुक्रगुजार हूँ Noel Lorenz House of Fiction के संस्थापक नोएल लोरेंज का जिन्होंने मेरी किताब बनने का सपना साकार किया।
ABOUT AUTHOR:
सुनीता सुभाष गुप्ता की बायोग्राफी
सुनीता सुभाष गुप्ता पेशे से एक मनोचिकित्सक
हैं। वह मुंबई में पली बढ़ी हैं और रहती हैं। उन्होंने एमएससी इन साइकोलॉजी और
मास्टर्स इन साइकोथेरेपी एंड काउंसलिंग में किया हैं। वे वर्तमान में एक शैक्षिक
सलाहकार के रूप में छात्रों का मार्गदर्शन करती है। सुनीता जी को कविताएँ लिखने का
शौक है उन्होंने कई एंथोलॉजीस में सहलेखिका बनकर हिस्सा लिया है।
“सुन मेरे मून, तू मेरा
सुकून!” उनकी
पहली कविताओं की किताब है। इन्होंने प्यार के युगल जोड़ों की भावनाओं को कविताओं के
माध्यम से इस किताब में सुंदर शैली से प्रस्तुत किया है। इनका मानना है कि कविताएँ
हमारे जीवन का सार है जो हमारे रोजमर्रा की जिंदगी की भावनाओं और विचारधारा को
दर्शाता है।
सुन मेरे मून, तू मेरा सुकून! उनकी पहली कविताओं
की किताब की रचना है जिसमें उन युगल जोड़ों को दर्शाया गया है
जिन्होंने प्यार का एक लंबा सफर तय किया है ज़िंदगी में अजनबी से दोस्त बनकर, दोस्त
से दिलबर बनकर और दिलबर से हमदम बनने तक का सफर तय किया है। दोस्त से दिलबर बनने
के इस सफर में जितनी भावनाएँ हैं जिसमें कभी गुस्सा, कभी नफरत, तो कभी एक तरफ
प्यार, मोहब्बत के किस्से और इश्क की दास्तान को और सभी भावनाओं को सुंदर तरीके से
इस किताब में दर्शाया गया है।
इन्होंने अपने विचारों और भावनाओं को कविताओं
के माध्यम से इस किताब में प्रस्तुत किया है। इनका मानना है कि कविताएँ हमारे जीवन
का सार है जो हमारे रोजमर्रा की जिंदगी की भावनाओं और विचारधारा को दर्शाता है
चाहे वह प्यार,
नफरत, खुशी हो या गम। वे
कहती है की हमारी विचारधाराओं को लेखन का रूप देना चाहिए। सारे एहसासों को शब्दों
के मोती का रूप देकर एक माला में पिरोया जाता है तब एक सम्पूर्ण शब्दों की समुचित
रचना बनती है।
“हमारे शब्द हमारे बच्चे जैसे
होते हैं"। यह शब्द हमारे बच्चों की तरह होते हैं जिन्हें हम खुद अपनी सोच
से ढ़ालते हैं और उसे बोलते हैं। उससे हमारी परवरिश और संस्कार के प्रतिबिंब झलकते
है।
वे मानती हैं “दिल से लिखो, दिल की सुनो और वो
तुम्हारी हर बात सुनेगा।"
Comments
Post a Comment